बसंती का प्यार - Shayari Poetry
- Admin

- Jun 19, 2020
- 2 min read
Updated: Aug 31, 2023

नाम बहार बसंती लेकिन सूखा उसका प्यार
मुँह से बोले बाबू शोना, और सबको कहती यार
पापा उसके हीरे जैसे, मम्मी शहद की गुड़िया
दोनों घुल के मिले ऐसे, बना दी ज़हर की पुड़िया |
पुड़िया खाता भाई उसका, बैठा बैठा चौक पर,
आते जाते सलामी देते, कुत्ते उसको भौक कर
पतला सीना मोटी बुद्धि, पहन रखे है अंगूठी दस
टैटू गुदवाया नाम का उसके, जो मिलती सपने में बस |
बस से जाती बहन उसकी, कॉलेज पढ़ने हर दिन
एग्जाम में हो गयी नो एंट्री, अटेंडेंस थे केवल तीन
मेकअप, लाली, इंस्टा, ट्विटर, सबमे उलझी थी हीरोइन
लॉजिक देना उसको जैसे, बजाना भैस के आगे बीन |
बिन बसंती जीवन सूना, सूना जग संसार
पर बसंती ये न समझे, समझे पैसा बांग्ला कार
रोज़ रात को मैंने उसको, फ़ोन किये है सौ सौ
कॉल उठा के रिचार्ज कराती, कम से कम के दो सौ |
दो सौ उसके ट्वीट दिन के, इंस्टा पर भी खूब
वो है daddy's एंजेल, मम्मास प्रिंसेस, बाकि सब है नूब
स्टेटस की सेल लगी है, लूट सके लूट
फ़ॉर्वर्डेड मैसेज की भी, लम्बी लाइन लगी है डूड |
डूड चाहिए उसको ऐसा, ऋतिक भी हो जाए फेल
मेरी चाहत को न समझे, कैसे होगा मेल
देख बसंती मैंने बोला, प्यार करेगी मुझसे
मुझको देखा फिर चप्पल को, समझ गया मैं उससे|
उससे दूर हुए अब होगये, पूरे सोलह मास
आज मिला उससे मैं, शाम को साढ़े पांच
हाय बसंती को उसका, मिल गया प्यार सच्चा
हाथ में झाड़ू देखा उसके, देखा गोद में बच्चा |
बच्चा देख के पुछा मुझसे, आप कौन हो मामा?
हाथ जोड़ के लौट गया मैं, बहोत हुआ अब ड्रामा
बसंती देख रही चौखट से, पर और बहोत था काम
ये कहानी यही खतम हुई, बोलो जय सिया राम |




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